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तेरा क्या होगा ...... बॉलीवुड ???

अब हमारे देश के 'प्रतिभावान' निर्देशकों में से एक महेश भट्ट जी का बयान सुनिए "भारत में हॉलीवुड की फिल्मों का हिन्दी में डब होना प्रतिबंधित होना चाहिए ,यह हमारी मातृभाषा है ,हर किसी की बपौती नहीं !"  वाह महाशय आज जब आपके पेट पर लाट पड़ी है तो हिन्दी आपकी मातृभाषा हो गई अन्यथा आप और आपकी बॉलीवुड बिरादरी के दिव्यजन तो फिल्मों के बाहर हिन्दी में बात करना अपनी तौहीन मानते हैं ! कुछ चुनिन्दा लोगों के छोडकर आपके कलाकार हिन्दी को पढ़-लिख नहीं सकते !आप लोगों ने लैटिन (अँग्रेजी की लिपि) का आंधाधुंद प्रयोग कर लिखित हिन्दी (देवनागरी) को लगभग संग्रहालयों में भेजने लायक बना दिया है!!और आज आप हिन्दी के रहनुमा बनते फिर रहे हैं ??? आज महेश जी का कहना है कि अरबों रुपये कमाने वाली बॉलीवुड की फिल्में आर्थिक रूप से इतनी सुदृढ नहीं होती की वे हॉलीवुड की फिल्मों से मुक़ाबला कर सकें ! क्यों भला ? क्या एक अच्छी मनोरंजक और उच्च स्तर की फिल्म बनाने के लिए मात्र पैसा ही चाहिए होता है ? ध्यानपूर्वक सोचिए और बताइये कि आपकी इंडस्ट्री में और कोई कमी नहीं ? क्या आप विदेशी फिल्मों की स्क्रिप्ट नही