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मार्च, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चलिए शुरू करते हैं .........

आज अपना पहला व्यतिगत ब्लॉग(सामूहिक  तो लिखता ही था ) लिखना प्रारंभ कर रहा हूँ तो प्रसन्नता तो अवश्य ही है पर साथ में उत्साह भी है .पर यह उत्साह इतना भी नहीं है कि प्रेमचंद के पात्र प. मोटेराम शास्त्री की तरह नई डायरी लिखने के उपलक्ष में पाठकों के लिए एक पूरी कहानी ही लिख दी जाये (जो कि आजकल के पाठक शायद पढ़े भी ना !) .अब इसे बिस्मिल्लाह कहें या श्री गणेश पर इतना तो तय है कि इस ब्लॉग के माध्यम से मैं अपने विचारों को रस्सी कूद करवाता रहूँगा और बिलकुल , आप लोग भी इस वर्जिश में बकायदा निमंत्रित हैं.