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जंतर मंतर में अन्ना के साथ एक दिन

भारत छोड़ो आंदोलन लें या खिलाफत लहर ,जे पी क्रांति लें या लोहियावाद किसी भी अन्य आन्दोलन को लें यह वर्तमान में चल रहा "अन्ना आन्दोलन " अपने में अनुपम तो है ही इसके साठ साथ इसमें जन भागीदारी को भी कोई नकार  नहीं सकता .ख़ैर जहाँ तक इसके स्वरुप की बात है तो कई विशेषज्ञ तो इसे कोई आन्दोलन कहने से भी इनकार कर रहे हैं और इसे मात्र एक लहर का दर्ज़ा दे रहे हैं  अब जो भी हों मैं यह लेख ऐसा कोई बुद्धिजीवी वार्तालाप चलाने  के लिए नहीं लिख रहा हूँ ,अपितु आपको एक रिपोर्टर की ही तरह जंतर मन्तर पर अन्ना हजारे के अनशन के दौरान बिताए गए एक दिन का हाल ए बयां सुनाने के लिए लिख रहा हूँ .तो चलिए जनाब शुरू करते हैं अपनी दास्तानगोई. भीड़ भाड़ वाला एक दिन दिल्ली की सड़कों में रोज़ाना की मानिंद अस्त व्यस्त ट्रैफिक ,किसी आम दिन की ही तरह ठुसी हुई मेट्रो रेलें , सड़कों में भीड़ ,अस्पातालों में भीड़ ,दफ्तरों में भीड़ ,विद्यालयों में भीड़ ...अब आप कहेंगे इन  सब जगहों में  भीड़ का होना तो कोई आम बात नहीं और फिर दिल्ली जैसे डशहर में जो कि एक सो बीस करोड़ की आबादी के देश की राजधानी हों और खुद भी डेढ़ कर