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देवनागरी का उपयोग कौन कर रहा है ?

कई दिनों से 'देवनागरी लिपि', जो कि हमारे देश की कई भाषाओँ(हिंदी सरीखी ..) की आत्मा है , की ज़र्ज़र होती स्थति देख कुछ लिखने का मन कर रहा था तो आज उदगार प्रकट  कर ही रहा हूँ . यदि आप वर्तमान में देवनागरी को सबसे अधिक सम्मान देने वाली भाषा खोजेंगे तो वह है मराठी और नेपाली .इन दोनों भाषाओँ ने कभी भी अपनी लिपि (देवनागरी) से नाता नहीं तोड़ा और इस "लैटिन वादी साम्राज्यवाद " का सामना कर रहे विश्व में भी वह उससे चोली दामन का साथ बनाये हुए हैं .अगर आप पुणे की आम रिहायशी गलियों का दौरा करेंगे तो आपको दिल्ली के फाटकों पर "आधुनिकता" की प्रदर्शक  अंग्रेजी की लैटिन लिपि   में मायूस सा  "kapoors"  या  "Vermas" उभरा  नहीं मिलता बल्कि अपनी माटी की खुशबू का अहसास  देने वाली देवनागरी में "बद्री निवास", "तरुनालय " ,"त्रिवेणी" सरीखे नाम पट्ट लिखे मिलेंगे .आप में से कई विश्वास नहीं करेंगे पर महाराष्ट्र में अग्रेजियत में डूबी बहुराष्ट्रीय कंपनिया (MNCs, जो की प्रायः अंग्रेजी के सबसे बड़े निर्यातक अमेरिकी ही होती हैं ) भी देवनागरी में