तैयार हों जाइए "फेसबुक.कॉम " के लिए !!

जी हाँ आखिरकार अब आपकी पसंदीदा साईट आपकी पसंदीदा भाषा में भी अपना वेब पता(डोमेन नेम ) उपलब्ध करा सकेंगे !


कई वर्षों से गैर अंग्रेजी या सटीक रूप से कहें तो गैर लैटिन (लैटिन लिपि का उपयोग करने वाली ) भाषाओँ को इन्टरनेट में शर्मसार होना पड़ता था ,क्योंकि इन्टरनेट का जनक और और सबसे बड़ा प्रायोजक अमेरिका ही है और उसने इन्टरनेट में  अंग्रेजी और लैटिन लिपि को ही बढावा दिया. इसी का फल था कि कुछ वर्ष पहले तो शत प्रतिशत कार्य इन्टरनेट पर लैटिन लिपि में ही होता था जिससे अंग्रेजी और अन्य यूरोपीय भाषाओँ का काम तो निकल जाता था परन्तु हिंदी तमिल सरीखी भारतीय भाषाओँ को लाचारी से अपना अपमान देखना पड़ता था .फिर धीरे धीरे भारतीय भाषाओँ के फॉण्ट विकसित किये गए और उन्ही के अनुरूप कुंजी पटल (कीबोर्ड ) बनाये गए ,सीके कारण बहुत थोड़ा ही साही भारतीय भारतीय भाषायें भी इन्टरनेट के समाज से रूबरू हुईं . फिर एक नई क्रान्ति आई हाल ही में जब यूनिकोड टाइपिंग का विकल्प उपलब्ध हुआ और जिन्हें गैर अंग्रेजी कुंजी पटल पर कार्य करना नहीं आता उन्हें भी हिंदी जैसी भाषाओँ को लिखने का मौका मिला (गूगल ट्रांसलिटरेट सरीखे सोफ्टवेअर से).फिर तो हर कोई लेखक बन गया जम कर हिंदी  ,तमिल ,बंगला में लिखा गया  . और इन्टरनेट के कुछ विशेष क्रियाकलापों(सोशल नेटवर्किंग और ब्लोगिंग ) में तो भारी परिवर्तन देखने को मिला . अब आप कोई भी शेर बिना दिमाग पर जोर लगाये देवनागरी में पढ़ सकते थे ,आप फेसबुक पर अपना हाल ही का यात्रा संस्मरण अपनी भाषा में लिख सकते थे .पर सबसे अधिक क्रांतिकारी विकास हुआ ब्लोगिंग के क्षेत्र में ,आपको जानकार हैरानी होगी कि यूनीकोड टाइपिंग के आने के बाद अकेले भारतीय भाषाओँ में ही एक साल में पचास हज़ार से ऊपर ब्लॉग पंजीकृत हों चुके हैं ,उअर उनमें से कईयों में प्रतिदिन नवीन सूचना हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओँ में पोस्ट की जाती हैं .
पर अभी भी कुछ कमी थी आपने ध्यान दिया होगा कि डोमेन नेम(वेबसाईट या वेब पता जो कि आप अपने ब्राउज़र के टाइटल बार में लिखते हैं जैसे amarujala.com ,bbchindi.com Nehru.blogspot.com आदि  ) के क्षेत्र में अभी भी लैटिन लिपि का एक छत्र अधिकार  था .आपकी साईट या ब्लॉग किसी भी भाषा में हों आपको अपना डोमेन नेम लैटिन लिपि में ही पंजीकृत कराना होता था . यह कई बार बड़ा अप्रिय सा लगता था कि कोई साईट हिंदी सिखाने के लिए हों या किसी मराठी समाचार पत्र की हों और उसका वेब पता अंग्रेजी में हों ,जैसे कि seekhohindi.com , dainikjagran.com ,लेकिन अब परिवर्तन की बयार बह चुकी है और अब आप भी अपना वेब पता अपनी चहेती भाषा में पंजीक्रत करवा सकते हैं , द इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स ऐंड नंबर्स' (आईकैन)    जो कि वेब दुनिया के पतों का सञ्चालन करती है वह अब लगभग दुनिया की सारी भाषाओँ या कहें लिपियों को अब डोमेन नेम में लिखने की मंज़ूरी देने जा रहा है ,यानी अब आप वेबपते कुछ यूं भी देख सकते हैं दैनिकजागरण.कोम ,सीखोहिंदी.इन आदि .अभी इस व्यवस्था को लागू होने में कुछ समय लग सकता है परन्तु देर से ही साही आप अब अपनी पहचान अपनी भाषा में दिखा सकेंगे ...तो कर लो दुनिया मुट्ठी में !!

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